Saurabh Patel

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१९ -जन एकता की भाषा हिंदी- रचना १९


हमें शायर बनने के ख़्वाब आ रहे है 
कुछ ख़्वाब बड़े ही अजीब आ रहे है

पढ़ाई लिखाई में दिल लगाने कि कोशिश
सही में मुश्किल हालात क़रीब आ रहे है

नींद के लिए लगता है सुकून का तकिया
दुकानों में ये बिस्तर बेमतलब आ रहे है

खरीदना है दिल के लिए अदब का पर्दा 
कुछ चेहरे इन दिनों बे-हिजाब आ रहे है

इन्हें रखा करो मंदिर मस्ज़िद तक "सौरभ"
मुहब्बत के बीच में बड़े मज़हब आ रहे है।

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11 Comments

सभी lines में आ रहे हैं होगा न कि है

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Wahhhh wahhhh,,, क्या कहने जी, outstanding,,,,,

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Saurabh Patel

29-Sep-2022 04:01 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 12:51 PM

Bahut khoob 💐👍

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Saurabh Patel

22-Sep-2022 06:18 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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